छठ पूजा पर निबंध (Chhath Puja Essay in Hindi)

भूमिका (Introduction)

छठ पूजा हिंदू धर्म का एक अत्यंत पवित्र और महत्वपूर्ण पर्व है, जो सूर्य देव और छठी मैया को समर्पित है। यह पर्व विशेष रूप से बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश और नेपाल के कुछ भागों में बहुत श्रद्धा और आस्था के साथ मनाया जाता है। छठ पूजा में भक्त सूर्य देव को अर्घ्य देकर परिवार की सुख-समृद्धि और स्वास्थ्य की कामना करते हैं। यह पर्व पवित्रता, संयम और भक्ति का अद्भुत उदाहरण है।

छठ पूजा का इतिहास (History of Chhath Puja)

छठ पूजा का इतिहास बहुत प्राचीन है। इसका उल्लेख रामायण और महाभारत दोनों में मिलता है।

  • रामायण के अनुसार, भगवान राम और माता सीता ने अयोध्या लौटने के बाद कार्तिक शुक्ल षष्ठी को सूर्य देव की पूजा की थी।
  • महाभारत में, द्रौपदी और पांडवों ने भी कठिनाइयों से मुक्ति पाने के लिए छठी मैया की उपासना की थी।

इसके अलावा, कहा जाता है कि राजा प्रियव्रत ने संतान की प्राप्ति के लिए छठी मैया की आराधना की थी, जिससे यह पर्व प्रचलित हुआ।

छठ पूजा का महत्व (Significance of Chhath Puja)

छठ पूजा का धार्मिक और वैज्ञानिक दोनों दृष्टिकोण से अत्यंत महत्व है।

  1. सूर्य उपासना: सूर्य देव को जीवन और ऊर्जा का प्रतीक माना गया है। उनकी पूजा से स्वास्थ्य, शक्ति और समृद्धि प्राप्त होती है।
  2. प्रकृति के प्रति सम्मान: यह पर्व जल, वायु और प्रकाश जैसे प्राकृतिक तत्वों के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करता है।
  3. शुद्धता और अनुशासन: व्रत रखने वाले भक्त पूर्ण रूप से पवित्रता और आत्म-संयम का पालन करते हैं।
  4. सामाजिक एकता: यह पर्व समाज में समानता, सहयोग और भाईचारे की भावना को मजबूत करता है।

छठ पूजा की विधि (Puja Vidhi)

छठ पूजा चार दिनों तक चलने वाला पर्व है, जिसमें प्रत्येक दिन का विशेष महत्व है:

  1. पहला दिन – नहाय-खाय:
    भक्त पवित्र नदी में स्नान करते हैं और शुद्ध भोजन ग्रहण करते हैं।
  2. दूसरा दिन – खरना:
    इस दिन भक्त दिनभर निर्जला व्रत रखते हैं और शाम को गुड़ की खीर, पूड़ी और केला का प्रसाद बनाकर सूर्य देव को अर्पित करते हैं।
  3. तीसरा दिन – संध्या अर्घ्य:
    व्रती महिलाएं नदी या तालाब के घाट पर खड़ी होकर अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य देती हैं।
  4. चौथा दिन – उषा अर्घ्य:
    अंतिम दिन सूर्योदय के समय अर्घ्य देकर व्रत का समापन किया जाता है। इसके बाद प्रसाद बाँटकर सभी के साथ खुशियाँ मनाई जाती हैं।

छठ पूजा का सांस्कृतिक महत्व (Cultural Importance)

छठ पूजा केवल धार्मिक पर्व नहीं, बल्कि यह भारतीय संस्कृति और परंपरा का प्रतीक है। इस दौरान गंगा घाट, तालाब और नदियाँ सुंदर फूलों और दीपों से सजाई जाती हैं।
भक्त पारंपरिक गीत गाते हैं जैसे –
🎶 “केलवा के पात पर उगले सूरज देव…”
यह पर्व महिलाओं की शक्ति, श्रद्धा और समर्पण को दर्शाता है।

वैज्ञानिक दृष्टिकोण (Scientific Aspect)

सूर्य की उपासना से शरीर को विटामिन D प्राप्त होता है, जिससे हड्डियाँ मजबूत होती हैं।
सूर्य की किरणें सुबह और शाम के समय सबसे अधिक लाभदायक होती हैं।
छठ पूजा के दौरान उपवास और शुद्ध आहार शरीर को डिटॉक्स करता है, जिससे स्वास्थ्य सुधरता है।

निष्कर्ष (Conclusion)

छठ पूजा आस्था, शुद्धता और कृतज्ञता का प्रतीक है। यह पर्व हमें सिखाता है कि जीवन में सूर्य की तरह उजाला फैलाना और प्रकृति के प्रति आभार व्यक्त करना कितना आवश्यक है।
छठ पूजा केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि जीवन के प्रति “धन्यवाद” की भावना का उत्सव है।

छठी मैया सबके जीवन में सुख, समृद्धि और शांति प्रदान करें। 

निबंध की मुख्य बातें (Essay Highlights)

  • यह निबंध कक्षा 5 से 12 तक के छात्रों के लिए उपयुक्त है।
  • लंबाई लगभग 500 से 600 शब्दों की है।
  • भाषा सरल और परीक्षाओं के अनुसार है।

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