Maharana Pratap Jayanti 2023: महाराणा प्रताप की जयंती की दो तारीखें क्यों? नहीं जानते होंगे ये रोचक बातें

महाराणा प्रताप के 24 भाई और 20 बहनें थीं। खुद प्रताप के सौतेले भाई ने उन्हें धोखा देते हुए अजमेर आकर अकबर से संधि कर ली थीं।



Maharana Pratap Jayanti 2023 : राजपूत शासक महाराणा प्रताप की जयंती को लेकर गूगल पर दो अलग अलग तारीखें सामने आ रही हैं। इन तारीखों के मुताबिक 9 मई यानी आज महाराणा प्रताप की जयंती है तो वहीं कुछ लोग 22 मई को महाराणा प्रताप की जयंती मनाने को लेकर असमंजस में हैं। लोग सवाल कर रहे हैं कि महाराणा प्रताप की असल जन्मतिथि 9 मई है 1540 है या 22 मई। अगर आपको भी कंफ्यूजन है तो बता दें कि साल में दो बार महाराणा प्रताप की जयंती मनाते हैं। इसके पीछे का कारण भी खास है।

कब हुआ था महाराणा प्रताप का जन्म

दरअसल, महाराणा प्रताप का जन्म 9 मई 1540 को हुआ था। अंग्रेजी कैलेंडर के मुताबिक, प्रतिवर्ष इसी तारीख को महाराणा प्रताप की जयंती मनाई जाती है। इस वर्ष महाराणा प्रताप की 489 वीं वर्षगांठ मनाई जा रही है। हालांकि इस बार विक्रम संवत के मुताबिक, उनका जन्म दिवस मनाया जाएगा।


हिंदू पंचांग के मुताबिक उनका जन्म जेठ मास की तृतीया को गुरु पुष्य नक्षत्र में हुआ था। इस कारण विक्रम संवत के अनुसार 22 मई को भी महाराणा प्रताप की जयंती है। ऐसे में अंग्रेजी कैलेंडर और हिंदू पंचांग दोनों के मुताबिक ही मेवाड़ के शासक महाराणा प्रताप की जयंती मनाई जा रही है।

महाराणा की शादी और बच्चे

महाराणा प्रताप की शौर्य गाथा तो लगभग सबको पता होगी, लेकिन उनके जीवन से जुड़ी कुछ ऐसी भी बातें हैं जो सबको पता नहीं होती। महाराणा प्रताप के निजी जीवन की बात करें तो उन्होंने कुल 11 शादियां की थीं। राजनीतिक कारणों से हुईं इन शादियों में उनके 17 बेटे और 5 बेटियां थीं। महारानी अजाब्दे के बेटे अमर सिंह ने महाराणा प्रताप के बाद राजगद्दी संभाली।

महाराणा प्रताप का परिवार

एक इतिहासकार के मुताबिक, महाराणा प्रताप के 24 भाई और 20 बहनें थीं। खुद प्रताप के सौतेले भाई ने उन्हें धोखा देते हुए अजमेर आकर अकबर से संधि कर ली थीं। बचपन में महाराणा प्रताप को कीका नाम से पुकारा जाता था। वह जब युद्ध के लिए जाते थे, तो 208 किलोग्राम की दो तलवारें, 72 किलोग्राम का कवच और 80 किलो के भाले लेकर जाते थे।

महाराणा प्रताप की शौर्य गाथा

मुगलों से अपने राज्य की रक्षा के लिए महाराणा प्रताप ने जीवन भर लोहा लिया। कहा जाता है कि उन्होंने जंगल में घास की रोटी खाई और जमीन पर सोकर रात गुजारी लेकिन अकबर के सामने हार नहीं मानी।

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