International Yoga Day Speech in Hindi

आप सभी को सुप्रभात।

जैसा कि आप जानते हैं आज हमारी योगा समूह फाउंडेशन ने एक वर्ष सफलतापूर्वक पूरा कर लिया है इसलिए आज का समारोह इस एक वर्ष की उपलब्धि को मनाने के लिए आयोजित किया गया है। इस शुभ दिन पर कृपया मुझे योगा समूह फाउंडेशन के हमारे सदस्यों को दिल से बधाई और कृतज्ञता व्यक्त करने की अनुमति दें जिन्होंने लोगों के बीच जागरूकता को फैलाने के लिए कड़ी मेहनत की और इस एक साल के सत्र के लिए आवश्यक संसाधन उपलब्ध कराया। इसके अलावा मैं समाज के उन सभी लोगों का शुक्रिया अदा करना चाहता हूं जो एक भी दिन नहीं चूके और इस कला के रूप को जानने के लिए उत्साहित दिखे तथा दूसरों के बीच इस शिक्षा का प्रसार किया।

मैं, नंदिनी आज के समारोह के आपके मेजबान और इस समूह के सह-संस्थापकों में से एक, योगा और इसके पीछे विज्ञान तथा सार पर एक छोटी सी स्पीच देने की इच्छा रखती हूं।

हम में से कई रोज़ाना योगा करते हैं लेकिन वास्तव में हम में से कितनो को यह पता है कि यह कला किस प्रकार की है और इसे क्यों किया जाता है? यह मूल रूप से हमारे शरीर में संतुलन प्राप्त करने की एक विधि है अर्थात् ताकत बढ़ाना, लचीलापन बढ़ाना और आध्यात्मिकता प्राप्त करना आदि। योगा भी जीवित रहने के गैर भौतिकवादी मार्ग का समर्थन करता है। योगा को "आसन" नामक संस्कृत शब्द के उपयोगा के माध्यम से अधिक सटीक रूप से वर्णित किया गया है जिसका अर्थ है विभिन्न प्रकार के शारीरिक आसन या आसन का अभ्यास। विभिन्न प्राकर के आसन योगा का एक अनिवार्य हिस्सा हैं। आमतौर पर योगा कक्षा सामान्य साँस लेने के व्यायाम से शुरू होती है और फिर नरम आसनों को शामिल करके आगे बढ़ा जाता है तथा उसके बाद सबसे कठिन योगा किये जाते हैं। योगा आसन सभी शरीर के अंगों को ध्यान में रखते हुए निर्देशित मध्यस्थता सहित साँस लेने के तरीकों का गठबंधन हैं।

ऐसे अलग-अलग पहलू हैं जिनके लिए प्रशिक्षक आपका मार्गदर्शन करता है इनमें खड़ा होना, बैठना, पीछे झुकना, आगे झुकना, ऊपर की ओर आसन के साथ-साथ मुड़ना शामिल है। इन के अलावा अन्य विभिन्न प्रकार के योगा हैं जो विशेष रूप से लोगों की विभिन्न आवश्यकताओं के अनुरूप होते हैं। उदाहरण के लिए हठ योगा है जो सभी योगा आसनों का सबसे प्रचलित रूप है तथा यह साँस लेने के व्यायाम और शारीरिक मुद्राओं के साथ भी संबंधित है। जो लोग जीवन में आध्यात्मिक अनुभव प्राप्त करना चाहते हैं उनके लिए दो अन्य प्रकार के योगा और हैं-कर्म और भक्ति योगा।

यह एक कला है जिसे हजारों वर्षों से मानवता के लिए जाना जाता है और इसका इतिहास 3,000 ई.पू. पुराना है। तब से इसका विभिन्न आध्यात्मिक गुरुओं द्वारा अभ्यास किया जा रहा है और समकालीन समय से ही विभिन्न विद्यालयों और महाविद्यालयों में पढ़ाये जाने वाले योगा को एक अनुशासनिक रूप में देखा जाता है। योगा का निश्चित लक्ष्य स्वयं से ऊपर उठने वाले व्यक्ति की सहायता करना और उत्कृष्ट अनुभव हासिल करना है। यहां तक ​​कि भगवद् गीता में भी लिखा है, "एक व्यक्ति तब योगा को प्राप्त कर लेता है जब वह स्वयं के मन के साथ और दिमाग को पूरी तरह अनुशासित इच्छाओं से स्वतंत्र कर लेता है, खत्म कर लेता है।" हालांकि यह एक धर्म नहीं है लेकिन यह निश्चित रूप से सही जीवन का एक तरीका है जो एक तंदरुस्त मन के साथ-साथ एक स्वस्थ शरीर को प्राप्त करने के लिए काम करता है।

तो योगा की शक्ति को उजागर करें, जोशीला महसूस करें और जीवन में उत्साह का विकास करें।

धन्यवाद।

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